Friday, 1 May 2020

लंबा इंतजार

कुछ लोग मौत से डरते है,
कुछ इसकी दुआ करते हैं।
कैसे कटेगी इतनी लंबी रात,
सूरज ढलने के बाद।
हर वक़्त तेरे इंतेज़ार में,
मैं चौकन्नी खड़ी हु।
जब आये तू दरवाजे पे,
मैं तैयार बैठी हु।
वक़्त की हरियाली में,
भूल गयी अपने बचपन के अंधेरे को।
भूल गयी थी मैं,
कि अंधेरे के साए में पली हु में।
बंद कमरे में क़ैद,
चीख़ने चिल्लाने से
अंधेरा दूर नही होता।
हमेशा अकेलेपन से दूर भागी हु मैं,
पर उसने मेरा साथ ना छोड़ा।
हर मोड़ पर, कब कहाँ दिख जाए
कब फिर से मेरा हाथ पकड़ले।
कभी कभी लगता है,
सदियां बीत गयी।
और कभी लगता है,
अभी तो ज़िन्दगी शुरू हुई थी।
ज्यादा हँसी से हमेशा से डरी हु,
कहीं छोड़ के ना चलि जाए।
खुली आँखों से सपने देखे
कि बंद आंखों से नमी ना निकल पाए।
अब तक जो तेरा साथ था,
बस उसका शुक्रिया।
दिन हो या रात,
बस आपका शुक्रिया।

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