Sunday 7 July 2013

नूरला, लदाख


एक अलग ही दुनिया मैं आयी हु मैं।
'Indus' जिससे 'India' को अपनी पहचान मिली,
नाम मिला
उसे देख रही हु मैं।
उसकी शीतलता और उसका रौद्र रूप दिखा मुझे
पहाड़ों को काटता हुआ रास्ता दिखा मुझे।
यह नदी ही है जो देश की सीमाएं अनदेखा कर दे।
दो देशों मैं पानी बांटे।
एक अलग ही नज़ारा है यहाँ का।
इस देश की बेटी हु मैं
पर अलग सा लगता है मुझे यहाँ।
पत्थरों के कंक्रीट से पहाड़ों के बीच।

कितनी अलग पहचान है लदाख की,
कितनी दुर्लभ है यह जगह।
इनको समेटना चाहु मैं अपनी आँखों मैं,
पर नैनों की सीमाओं के परे है यह दुनिया।
फिर लगता है इसे यहाँ छोड़ दू और
अपने तरीके से जीने दू।
चलना होगा अब मुझे,
नए रास्ते की तलाश मैं।
चलते ही रहना है
नया सूरज खोजने,
एक अलग दुनिया की तलाश मैं।





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